Thursday, 29 November 2018

सुखकर है बुद्ध का जन्म

सुखो बुद्धानमुप्पादो सुखा सद्धम्मदेसना
सुखा संघस्स सामग्गी, समग्गानं तपो सुखो
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सुखकर है सुखकर है सुखकर है
बुद्ध का जन्म सुखकर है

वो जो है आये, तो जाना है जग ने
शान्ति का संगीत, मैत्री के नग्मे
आने से उनके, समझा है जग ने
अहिंसा का सन्देश, करुणा के नग्मे
                  सुखकर है सुखकर है सुखकर है
                  बुद्ध का जन्म सुखकर है

मैं भी अभी सोचू जरा
तुम भी अभी सोचो जरा
सोचो जरा, सोचो जरा

मैं भी अभी सोचू जरा
तुम भी अभी सोचो जरा
क्या होता जग ये रहने के काबिल?
खिलने के काबिल, सहने के काबिल?
सब बोले अब 'सब्ब मंगल' की बोली
हो जाये सुखकर भूमण्डल की बोली
तथागत के तत्त्वों से मिटायेंगे हम
जुल्मी और स्वार्थी मारों की टोली
                 सुखकर है सुखकर है सुखकर है
                 बुद्ध का जन्म सुखकर है
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इतिपि सो भगवा अरहं सम्मासम्बुद्धो
इतिपि सो भगवा अरहं सम्मासम्बुद्धो
इतिपि सो भगवा अरहं सम्मासम्बुद्धो

गीत और संगीत: राजेश ढाबरे
स्वर: सुरेश वाडकर


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