धम्मं सरणं गच्छामि
संघं सरणं गच्छामि
सुनो रे हाथ जोडो, मिलके करो वंदन
आते है बुद्ध भगवन
गरिमा का धारण चीवर
गौरव का वो शिखर
भाषा जिसकी सरल
वाणी कोमल कोमल
महके चाल में शालीनता का चन्दन
आते है बुद्ध भगवन
आंखोंकी रोशनी में चमक
चेहरे पे मुस्कान की है दमक
तेजोमुख की आभा अनंत
ओजस्वी है और कांतिपूर्ण दर्शन
आते है बुद्ध भगवन
मन सोना तन चांदी रे
सच पाया उस त्यागी ने
धातु की काया, रेशम सी छाया
कैसी लगन बाँधी रे
मन सोना तन चांदी रे
धातु की काया, मोम सी माया
कैसी लगन बाँधी रे
बादलों से मुक्त जैसे चन्द्रमा का वर्णन
आते है बुद्ध भगवन
बुद्धं सरणं गच्छामि
धम्मं सरणं गच्छामि
संघं सरणं गच्छामि
विश्वास की वो जंगी इमारत, साहस की गहरी किताब
उसकी ही चिंतन मनन से ही होगा, निर्मित स्वयंप्रकाश
गुहा से निकले हुए केसरी का गर्जन
आते है बुद्ध भगवन
आते है बुद्ध भगवन
गीत और संगीत: राजेश ढाबरे
स्वर: शंकर महादेवन, डॉ. भावना
No comments:
Post a Comment