जीने की चाह बढाई तुमने ओ बाबासाहेब
पतनके हमारे जिम्मेदार थी यहां की कई प्रथा
अधिकारोंकी कमीसे बढी निरंतर हमारी व्यथा
ये समझा वही जिसका था ह्रदय एक पितासमान
लडकर विषम रुढीयोंसे, संवरना हमें चाहा
जिदसे हक हमको दिलाया
तुमने ओ बाबासाहेब, तुमने ओ बाबासाहेब
वारिस ना समझे हमे, पराया धन समझे
संपत्तीमेभी न हिस्सा कोई, इंसाही ना समझे
पिता, पुत्र और पती पर निर्भर ये जीवन कटे
ललकारना सिखाया
तुमने ओ बाबासाहेब, तुमने ओ बाबासाहेब
ललकारना सिखाया
तुमने ओ बाबासाहेब, तुमने ओ बाबासाहेब
प्रगती की राह दिखाई तुमने ओ बाबासाहेब
जीने की चाह बढाई तुमने ओ बाबासाहेब
Lyrics- राजेश ढाबरे
अधिकारोंकी कमीसे बढी निरंतर हमारी व्यथा
ये समझा वही जिसका था ह्रदय एक पितासमान
लडकर विषम रुढीयोंसे, संवरना हमें चाहा
जिदसे हक हमको दिलाया
तुमने ओ बाबासाहेब, तुमने ओ बाबासाहेब
वारिस ना समझे हमे, पराया धन समझे
संपत्तीमेभी न हिस्सा कोई, इंसाही ना समझे
पिता, पुत्र और पती पर निर्भर ये जीवन कटे
ललकारना सिखाया
तुमने ओ बाबासाहेब, तुमने ओ बाबासाहेब
ललकारना सिखाया
तुमने ओ बाबासाहेब, तुमने ओ बाबासाहेब
प्रगती की राह दिखाई तुमने ओ बाबासाहेब
जीने की चाह बढाई तुमने ओ बाबासाहेब
Lyrics- राजेश ढाबरे
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