चाहे अमन परस्ती, बुद्ध की धरती
बुद्धं शरणं गच्छामि
धम्मं शरणं गच्छामि
संघं शरणं गच्छामि
ये बुद्ध का भारत प्रबुद्ध भारत, पूर्ण समर्थक शान्तिका
सम्मान बढ़ा अहिंसा का यहाँ,मुँह काला निरर्थक क्रांतिका
जगवालों अमन का व्रत लेकर, संसार सवारों भ्रान्तिका
है हिंसक नीती युद्ध की नीती, धरो अहिंसक नीती
ये बुद्ध की धरती, ये बुद्ध की धरती
संसार को अपना घर समझो, गौतम ने अमर सन्देश दिया
जियो स्वयं और जीने दो औरो को, महा उपदेश दिया
मानव को यहाँ मानवता दी, जीवन को वही उद्देश दिया
ये पतन की अर्थी और हो पूर्ति, आदर्शो की पूर्ती
ये बुद्ध की धरती, ये बुद्ध की धरती
जन हित ही उनका था जीना, जन हित ही उनका था मरना
चीर सत्य अहिंसा शांति में, चारित्र्य हमारा हो गहना
रहे ज्ञान की ज्योति अखंड जलती, दमके सारी जगती
ये बुद्ध की धरती, ये बुद्ध की धरती
बुद्धं शरणं गच्छामि
धम्मं शरणं गच्छामि
संघं शरणं गच्छामि
ये बुद्ध की धरती, युद्ध ना चाहे,
चाहे अमन परस्ती, बुद्ध की धरती